जलालगढ़ का किला | Jalalgarh Fort Detail in Hindi - Indian Forts

These famous forts and palaces in India have impressive structures.

Tuesday, January 7, 2020

जलालगढ़ का किला | Jalalgarh Fort Detail in Hindi


जलालगढ़ किला, पूर्णिया, बिहार, भारत के 20 किमी उत्तर में स्थित लगभग 300 साल पुराना खंडहर किला है। किला 1722 में पूर्णिया के फौजदार सैफ खान द्वारा बनाया गया था।

संरचना

किला एक बड़ी चतुष्कोणीय संरचना है और इसमें ऊंची दीवारें हैं जो दीवार को नेपाली आक्रमण से बचाने में मदद करती हैं। यह किला हिंदू और इस्लामी वास्तुकला दोनों की सुंदरता का प्रतीक है। 

मरम्मत

जनवरी 2012 में, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की कि बिहार सरकार इस पुराने किले का जीर्णोद्धार और मरम्मत करेगी। उन्होंने पूर्णिया जिले के अधिकारियों को इस बहाली का काम करने का आदेश दिया। 

जलालगढ का किला, बिहार राज्य के पूर्णिया जिला में जलालगढ़ में स्थित है। यह प्राचीन भग्नावशेष ऐतिहासिक महत्व रखता है।

वस्तुत: यह मुगलकालीन सैनिक छावनी है। जलालगढ़ का यह ऐतिहासिक मुगलकालीन किला कब, किसने बनवाया इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं है। परंतु कुछ इतिहासकारों ने बंगाल के नवाब द्वारा फौजी कैंप के लिए किले के स्थापना की जानकारी देते हैं। सामरिक दृष्टि से देश की सुरक्षा के लिए यह किला का निर्माण किया गया था। पूर्णिया के जिलाधिकारी एलएसएसओ मेली द्वारा लिखा गया कि पूर्णिया के प्रथम गजेटियर केपीएस मेनन 1911 ई. के अनुसार इस ऐतिहासिक किले का निर्माण खगड़ा किशनगंज के प्रथम राजा सैयद मोहम्मद जलालुद्दीन खां द्वारा हुआ था। सैयद जलालुद्दीन खां के राजा का खिताब मुगल बादशाह जहांगीर द्वारा किया गया था। जानकारों के अनुसार 16वीं शताब्दी में इस ऐतिहासिक किले का निर्माण सीमा क्षेत्र सरहद की सुरक्षा एवं मोरंग नेपाल क्षेत्र के लुटेरों से यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर किया गया था। जलालगढ़ के कुछ बुजुर्गो के अनुसार इस ऐतिहासिक किले के राजा सैयद मोहम्मद जलालुद्दीन खां के नाम पर ही जलालगढ़ पड़ा। सैनिकों की छावनी के रूप में जलालगढ़ के सीमा के निकट जलालगढ़ का ऐतिहासिक किले का निर्माण हुआ। उस समय नेपाल का सरहद जलालगढ़ सीमा तक था, इसलिए इस ऐतिहासिक किले का निर्माण सीमा जलालगढ़ में हुआ।

लगभग छह एकड़ जमीन में आयताकार दीवारों से घिरा एक विशाल परिसर है। दीवार की लम्बाई पूरब से पश्चिम लगभग 550 फीट तथा दक्षिण से उत्तर लगभग 400 फीट है। दीवार की मोटाई 7 फीट एवं लगभग 22 फीट उंची है। दीवारों की जोड़ाई सूर्खी-चूना के गारा पर किया गया है। किले का मुख्य प्रवेश द्वार पूरब दिशा में है, जिसकी उंचाई नौ फीट, चौड़ाई 13 फीट तथा किले की एक निकासी द्वार दक्षिण दिशा में है। जिसकी उंचाई सात फीट और चौड़ाई साढ़े पांच फीट है।

किले की लगभग एक सौ एकड़ जमीन है। जिस पर लोग खेती करते हैं और किले के आन्तरिक परिसर में भी खेती कर रहे हैं। किले के द्वार पर काठ के भारी चौखट-किबाड़ थे, जो 1962 ई. तक देखा गया था। कीले के चारों कोण पर अर्धचन्द्राकार कमरा बना हुआ है। किले से पूरब सटे कोसी नदी है जिसका सम्पर्क नदी मार्ग द्वारा सीधे मुर्शिदाबाद के नवाब से जुड़ा हुआ था। जनश्रृति के अनुसार परमान नदी खाता से किला तक सुरंग है। इतिहास से स्पष्ट है कि नेपाल की सीमा गंगा नदी के किनारे तक जाती थी, जिसे तात्कालिक नवाबों ने युद्ध द्वारा नेपाल को धकेलते जोगबनी तक पहुंचा दिया.