शेरगढ़ का किला | Shergarh Fort Detail in Hindi - Indian Forts

These famous forts and palaces in India have impressive structures.

Friday, January 17, 2020

शेरगढ़ का किला | Shergarh Fort Detail in Hindi



बिहार के रोहतास जिले के पास अफगान शासक शेरशाह सूरी का किला है, जिसे ‘शेरगढ़ का किला’ कहते हैं। इस किले में सैकड़ों सुरंग और तहखाने हैं। किसी को नहीं पता से सुरंगे कहां खुलती हैं। यह वही किला है जहां मुग़ल शासकों ने शेर शाह सूरी और उनके परिवार की हत्या कर कत्लेआम मचाया था। 


किले का रहस्यमयी आर्किटेक्चर…


  • - बिहार के सासाराम में कैमूर की पहाड़ियों पर मौजूद ये किला इस तरह बनाया गया है कि बाहर से किसी को नहीं दिखता। ये चारों तरफ से ऊंची दीवारों से घिरा है।
  • - इस किले के एक तरफ दुर्गावती नदी है, बाकी तरफ से ये जंगलों से घिरा हुआ है। यहां सुरंगों का जाल बिछा है।
  • - इसके अंदर जाने के लिए भी एक सुरंग से होकर जाना पड़ता है। अगर सुरंगे बंद कर दी जाएं तो ये किला दिखाई भी नहीं देता।
  • - यहां के तहखाने इतने बड़े हैं कि उनमें 10 हजार तक सैनिक आ सकते हैं। शेरशाह ने ऐसा किला अपने दुश्मनों से बचने और सुरक्षित रहने के लिए बनवाया था।
  • - शेरशाह अपने परिवार और सैनिकों के साथ यहीं रहते थे। यहां उनके लिए सभी सुविधाएं किले के अंदर ही मौजूद थी।
  • - यहां के कमरे भी सुरक्षा के हिसाब से बनाए गए हैं। किले से हर दिशा में 10 किमी दूर से आते हुए दुश्मन को भी देखा जा सकता था।
  • - यहां मौजूद तहखानों में काफी दिनों के लिए खाना और पानी स्टोर किया जा सकता था।



क्या है सुरंगो का राज…

  400 साल पहले बना ये किला रहस्यमयी है। इसमें बनी सुरंगे मुसीबत के समय किले के बाहर जाने के लिए बनवाई गई थीं। वहीं यहां के तहखाने दुश्मनों को सजा देने के लिए बनाए गए थे। इसमें बनी हजारों सुरंगें किसी भी दूसरे किले की तरह नहीं हैं और इन्हीं सुरंगों की वजह से शेरशाह को ये किला बहुत पसंद था। इन सुरंगों का राज सिर्फ शेरशाह और उसके कुछ भरोसेमंद सैनिकों को ही पता था। इनमें से एक सुरंग रोहतास किले तक जाती है। इसमें से सैनिक पहाड़ों में दुश्मनों को बिना दिखे काफी दूर तक निकल जाते थे। बाकी सुरंगों के बारे में आजतक किसी को मालुम नहीं पड़ा कि वो कहां खुलती हैं। 


सुरंगों में हुआ था नरसंहार   

इस किले में जाने से डरने का कारण इसमें हुए हजारों कत्ल हैं। कहा जाता है कि जब मुगलों को इस किले के बारे में पता चला, उन्होंने इसपर हमला कर दिया। मुगलों के शासक हुमायूं ने क्रूरता से शेरशाह के पूरे परिवार को किले के नीचे से बहती दुर्गावती नदी में फेंक दिया था। साथ ही हजारों सैनिकों को किले के अंदर ही सुरंगो के अंदर फसा कर मार डाला था। सैनिकों को सुरंगों का राज नहीं पता था और मुगलों ने उन्हें निकलने का मौका नहीं दिया। इस बड़े नरसंहार के बाद से इस महल में कोई नहीं रहा। आज भी लोग यहां अकेले जाने से डरते हैं।


किले का इतिहास…

इस किले का इतिहास कहीं भी अच्छे से नहीं मिलता, लेकिन कुछ इतिहासकारों ने बताया कि इस किले पर पहले राजपूत राजा शाहबाद का राज था। जिसकी मजार पास ही सासाराम शहर में है। बाद में ये किला अफगान शासक शेरशाह सुरी के हाथ लगा। ये किला सासाराम से 32 किमी दूर स्थित है। कुछ इतिहासकारों के अनुसार ये शेरशाह के अच्छे मित्र खरवार राजा गजपती ने उन्हें तोहफे में दिया था। ये किला 1540 से 1545 के बीच बना है और 1576 में ये मुगलों के हाथ में आया। शेरशाह एक ऑर्थोडॉक्स मुसलमान शासक थे इसलिए इस किले में मौजूद नृत्य हॉल शेरशाह के शासन का नहीं लगता। ऐसा भी कहा जाता है कि रोहतास किले पर कब्जा करने के बाद शेरशाह की इस किले पर नजर पड़ी और इसे भी शेरशाह ने अपने अधीन कर लिया। इसे नवाबगढ़ भी कहा जाता था।


किले में है शेरशाह का खजाना…

कहते हैं शेरशाह की बहुत सारी टकसालें थीं, जिनमें वो सोने और चांदी के सिक्के बनवाया करते थे। उनमें से एक शेरगढ़ के किले में थी। इस किले में शेरशाह का खजाना कहीं छुपा है, जो कभी भी ढूंढा नहीं गया। इस किले में जाने से डरने की वजह से किसी ने भी आजतक कोशिश नहीं की। वो खजाना अभी भी यहीं दबा है और इसे मुगल आक्रमणकारी भी ढूंढ नहीं पाए।


कैसे पहुंचे

   
ऐड्रेस : कोटा, बिहार
   
By Air
यहां से नजदीकी एयरपोर्ट पटना (PAT) में हैं जहां सभी बड़ी सिटी से फ्लाइट आती हैं।  पटना से सासाराम जाने के लिए ट्रेनें और टैक्सी चलती हैं।
   
By Train
पटना रेलवे स्टेशन पर सभी बड़ी सिटी से ट्रेनें आती हैं। दिल्ली, कोलकाता, वाराणसी, रांची और असम से यहां डायरेक्ट ट्रेनें आती हैं।
  
By Road
आसपास की सिटी से बसें आसानी से मिल जाती हैं। ये पटना से 153 किमी दूर है। कार से लगभग 3 घंटे लगते हैं।